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    प्राचार्य

    शिक्षा मनुष्य में पहले से मौजूद पूर्णता की अभिव्यक्ति है। जिस प्रशिक्षण से इच्छाशक्ति की धारा ,अभिव्यक्ति को वश में किया जाता है और फलदायी बनाया जाता है, उसे शिक्षा कहते हैं। शिक्षा को संकाय के विकास के रूप में या व्यक्तियों को सही और कुशलता से इच्छाशक्ति के प्रशिक्षण के रूप में वर्णित किया जा सकता है, ना कि शब्दों के संचय के रूप में ।